नई दिल्ली: भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसीज के रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना बड़ी संख्या में स्टील बुलेट की खरीद करने में लगी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना स्नाइपर के जरिये इन स्टील बुलेट से सीमा पर तैनात भारतीय जवानों को निशाना बनाने की साजिश रच रही है. पाकिस्तानी सेना इन स्टील बुल्लेट्स को कश्मीर में मौजूद आतंकियों को भी मुहैया करा रही है जिससे सुरक्षा बलों पर घातक हमले किये जा सके .इन स्टील बुलेट की सबसे खास बात यह है कि ये जवानों के बुलेट प्रूफ जैकेट्स को भेद सकती है जिससे जवानों के लिए अपना दुश्मन की गोली से बचाव करना मुश्किल हो जाता है.


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दुनिया के कई देशो में स्टील बुलेट को आर्मर पिएर्सिंग बुलेट यानी एपी बुलेट भी कहा जाता है. यह पूरी तरह से बैन है. ऐसे में पाकिस्तान दुनिया के उन देशों से इन स्टील बुलेट की खरीद कर रहा है जो चोरी छुपे इसके व्यापार में शामिल हैं. खुफ़िया एजेंसीज की इस रिपोर्ट से सुरक्षा चिंता बढ़ गई है. जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बल से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पिछले कुछ महीनो में हुए आतंकी हमले में इन स्टील बुलेट के इस्तेमाल की जानकारी सामने आई है. कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद कुछ हमलो में एके-47 रायफल के जरिये ऐसी स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर चुका है. 


रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना 12.7 x 99 एमएम की स्टील बुल्लेट्स को सीमा पर अपने स्नाइपर को मुहय्या करा रही है जो करीब 700 -1000 मीटर दूर से अपने टारगेट को निशाना लगा सकते ह. हालांकि, इन स्टील बुलेट से निपटने के लिए सुरक्षा बालो को खास तरीके के बुलेट प्रूफ जैकेट्स भी दिए जा रहे है जिससे इन स्टील बुलेट की घातक हामले के असर को कम किया जा सके .


कश्मीर में तैनात जवानों के खिलाफ फिदायीन हमले के लिए पाकिस्तान की आईएसआई जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को चीन में बने स्टील बुलेट मुहैया करा रही है. खुफिया सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने अपने हर हमले में स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया है. इन बुलेट की सबसे खास बात यह होती है कि ये जवानों के बुलेट प्रूफ जैकेट को बड़े आराम से भेद सकती हैं. जांच एजेंसियों के मुताबिक पुलवामा आत्मघाती हमले से लेकर के त्राल में हुए आतंकी हमलों में भी जैश-ए-मोहम्मद ने इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था.


जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले 6 महीनों में हर बड़े हमले में स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया है. यह बुलेट एके-47 राइफल से भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. आतंकी अपनी मैगजीन में 2-3 स्टील बुलेट का कॉन्बिनेशन रखते हैं और जरूरत पड़ने पर वह हमारे जवानों पर हमले करते हैं. कई बार यह बुलेट आर्मड बुलेट को भी भेद  सकती है. पिछले साल 27 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के लेथपुरा में हुए आत्मघाती हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था. कश्मीर में पहली बार आतंकियों की साजिश की जानकारी इसी हमले से पता चली थी.


एजेंसी के मुताबिक आतंकियों के स्टील बुलेट यानी आर्मड पायरसिंग बुलेट के ख़तरे को बड़ी गंभीरता से जांच की जा रही है. वीआईपी के सुरक्षा में बुलेट प्रूफ गाड़ियों का इस्तेमाल होता है और ऐसे में आतंकियों की अब इस नई रणनीति को देखते हुए वीआईपी सुरक्षा की दोबारा समीक्षा हो रही है. कश्मीर में तैनात एक और अधिकारी ने हमें बताया कि पिछले साल दिसंबर में पुलवामा में ही एक जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर नूर मोहम्मद तंत्रे यानी पीर बाबा का एनकाउंटर किया गया था. एजेंसियों को शक है कि कश्मीर में स्टील बुलेट लाने वाला कोई और नहीं बल्कि नूर मोहम्मद तंत्रे है.


नूर मोहम्मद तंत्रे ने स्टील बुलेट की खेप को जैश-ए-मोहम्मद के बाकी आतंकियों तक पहुंचा दिया, जो कश्मीर में मौजूद हैं. इन आतंकियों को यह बताया गया है कि किस तरीके से और कब इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के खिलाफ करना है. जैश-ए-मोहम्मद अक्सर सुरक्षा एजेंसियों के कैंप में हमले के दौरान भी इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहा है. पूरी दुनिया भर में ऐसी बुलेट बैन है, लेकिन अब आतंकियों तक इन बुलेट की पहुंच हो गई है. आतंकी इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल एके-47 राइफल से भी कर रहे हैं. अभी तक सुरक्षाबलों के पास जो बुलेट जैकेट और शील्ड हैं स्टील बुलेट को झेलने के लिए नाकाफी हैं.