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आरएसएस और आर्य समाज के नाम लिखी थी देवदत्त खुल्लर अपनी जिंदगी

9 वर्ष पहले
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बटालामेंआरएसएस के संस्थापक सदस्य रहे देवदत्त खुल्लर के निधन से आरएसएस ने अपने सबसे वरिष्ठ और बुजुर्ग कार्यकर्त्ता को खो दिया है। 98साल की आयु में देवदत्त खुल्लर ने 6 जनवरी को अंतिम सांस ली। वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। 6 अक्टूबर 1917 को आर्य समाजी परिवार में जन्मे देवदत्त का सारा जीवन आरएसएस और आर्य समाज को समर्पित रहा। 1925 मे भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी।

इसके 12 साल बाद जब संघ का कार्य देश के सभी राज्यों में फैला तो 1937 में पंजाब में संघ की स्थापना की गई। बटाला में कार्य शुरू करने के लिए संघ के बड़े अधिकारी यहां आए तो 6 युवा लोगों की टीम का चयन किया गया था। तब 20 साल के देवदत्त को भी टीम में शामिल किया गया था। देवदत्त का परिवार मूलरूप से आर्य समाजी थे। इसलिए संघ की पहली शाखा आर्य समाज मंदिर ओहरी चौक में लगाई गई। देवदत्त खुल्लर और उनके साथियों की संघ के प्रति वचनबद्धता और कार्यनिष्ठा से आज संघ एक वटवृक्ष बन चुका है। देश के विभाजन से पहले हैदराबाद में आर्य समाज की स्थापना को लेकर निजाम हैदराबाद के खिलाफ देश में छेड़े गए सत्याग्रह के दौरान देवदत्त जत्थे के साथ हैदराबाद गए। उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। सारी उम्र देवदत्त चक्करी बाजार में किताबों की दुकान करते रहे। उनके परिवार में चार बेटियां और छोटा बेटा डाॅ. नरिन्दर खुल्लर हैं। डा. खुल्लर ईएसआई अस्पताल में डाक्टर इंचार्ज हैं। आरएसएस के जिला संघचालक कुलदीपराज महाजन ने स्व. देवदत्त को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह जीवन भर संगठन को आगे बढ़ाने में लगे रहे इसलिए दुकानदारी पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते थे। मृत्यु से ठीक एक घंटा पहले उन्होंने शाखा में जाने की इच्छा जताई थी। आरएसएस को उनके निधन से क्षति पंहुची है संघ केे प्रति उनका त्याग सदा याद रहेगा। उनकी अंतिम रस्म क्रिया और उठाला 9 जनवरी को शीतला माता मंदिर, समाधि रोड में दोपहर को होगा।

स्व.देवदत्त खुल्लर के जन्म दिन पर घर में किए हवण पर ली गई तस्वीर,उनका और उनके बेटे डाॅ.नरिंदर खुल्लर का जन्म दिन एक ही दिन आता है। (फाइलफोटो)

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