Quiz banner

हिटलर ने यहूदियों पर ऐसे ढाया जुल्म, 6 साल में बिछ गई थी 60 लाख लाशें

9 वर्ष पहले
Loading advertisement...
दैनिक भास्कर पढ़ने के लिए…
ब्राउज़र में ही
इंटरनेशनल डेस्क। 1933 में जर्मनी की सत्ता पर जब एडोल्फ हिटलर काबिज हुए थे, तो वहां उन्होंने एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। उसके साम्राज्य में यहूदियों को सब-ह्यूमन करार दिया गया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना गया। यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया, यानी समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची-समझी और योजनाबद्ध कोशिश।
होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। इस दौरान कई यहूदी अपनी जान बचाकर देश छोड़कर भाग गए, तो कुछ कंसनट्रेशन कैंप्स में क्रूरता के चलते तिल-तिल मरे। इस दौरान ऑशविच नाजी यंत्रणा कैंप यहूदियों का खात्मा करने की नाजियों की हत्यारी रणनीति का प्रतीक बन गया था।
(पोलैंड में नाजी कैंप ऑशविच को 70 साल पहले 27 जनवरी को आजाद कराया गया था। इस मौके पर हम वहां कैदियों को दी जाने वाली सजा के नाजी तरीके और वहां के कैदियों की फोटोज दिखा रहे हैं।)
पोलैंड में मौजूद इस यातना शिविर में धर्म, नस्ल, विचारधारा या शारीरिक कमजोरी के नाम पर नाजियों के गैस चैंबर में भेज दिया जाता था। यहां यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों, बीमारों और समलैंगिकों से जबरन काम लिया जाता था। कैंप ऐसी जगह था और इस तरह बनाया गया था कि वहां से भाग पाना नामुमकिन था।
बूढ़े और बीमार लोगों की गैस चैंबर में मौत तय होती थी। कैंप में चार क्रिमेटोरियम थे, जो हर दिन 4,700 लाशों को जला सकते थे और जो गैस चैंबर से बच जाता था उसे काम करना पड़ता था। ऑशविच कैंप के पासट इंडस्ट्रियल एरिया था जहां स्थित उद्यम नाजियों से बंदियों को उधार पर काम करवाने के लिए लेते थे।
सोवियत संघ की सेना द्वारा 27 जनवरी 1945 को उसे आज़ाद किए जाने तक वहां तकरीबन 11 लाख लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका था। आजादी के समय कैंप में बच गए लगभग 5 हजार बंदियों को रिहा कराया गया था। 1947 में ही इस शिविर को पोलिश संसद ने एक कानून पास कर सरकारी म्यूजियम में बदल दिया।
आगे देखिए: ऑशविच कैंप में कैदियों को यातना देने की तस्वीरें।
Loading advertisement...
Loading advertisement...