भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया ये है

इमेज स्रोत, ANI

देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशंवत सिन्हा को भारी अंतर से हराया था. द्रौपदी मुर्मू अब देश की राष्ट्रपति हैं.

द्रौपदी मुर्मू ने इस चुनाव में पहली वरीयता वाले 2,824 वोट हासिल किए. वहीं, उनके प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को प्रथम वरीयता के 1,877 वोट मिले.

इस चुनाव में कुल 4,754 वोट पड़े, जिसमें से 4,701 वोट वैध थे, जबकि 53 अमान्य क़रार दिए गए.

देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति के बारे में बड़ी बातें

  • द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था.
  • वो संथाल आदिवासी समुदाय से हैं और उनके पिता बिरंची नारायण टुडू अपनी पंचायत के मुखिया रहे हैं.
  • द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल थीं और अब देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाली हैं.
  • वो झारखंड में सबसे लंबे वक़्त (छह साल से कुछ अधिक वक़्त) तक राज्यपाल रहीं.
  • यहां से सेवानिवृति के बाद वो अपने गृह राज्य ओड़िशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में रहती हैं. यह उनके पैतृक गांव बैदापोसी का प्रखंड मुख्यालय है.
  • साल 1979 में भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से बीए पास करने वाली द्रौपदी मुर्मू ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत ओडिशा सरकार के लिए क्लर्क की नौकरी से की.
  • उस दौर में मुर्मू सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर सहायक थीं. बाद के सालों में वह शिक्षक भी रहीं.
  • मुर्मू ने रायरंगपुर के श्री अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में मानद शिक्षक के तौर पर पढ़ाया.

इमेज स्रोत, IPRD

  • द्रौपदी मुर्मू ने अपने सियासी करियर की शुरुआत वार्ड काउंसलर के तौर पर साल 1997 में की थी.
  • रायरंगपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर दो बार (साल 2000 और 2009) विधायक भी बनीं.
  • पहली दफ़ा विधायक बनने के बाद वे साल 2000 से 2004 तक नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री रहीं.
  • साल 2015 में जब उन्हें पहली बार राज्यपाल बनाया गया, उससे ठीक पहले तक वे मयूरभंज जिले की बीजेपी अध्यक्ष थीं.
  • साल 2002 से 2009 और साल 2013 से अप्रैल 2015 तक इस मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहीं.
  • इसके बाद वह झारखंड की राज्यपाल मनोनीत कर दी गईं और बीजेपी की सक्रिय राजनीति से अलग हो गईं.
  • द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया. उनकी तीन संतानें थीं लेकिन इनमें से दोनों बेटों की मौत भी असमय हो गई.
  • मुर्मू की बेटी इतिश्री मुर्मू हैं, जो रांची में रहती हैं. उनकी शादी गणेश चंद्र हेम्बरम से हुई है.

राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?

राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है. इन इलेक्टोरल कॉलेज निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य.

विधान परिषद् के सदस्य उसके सदस्य नहीं होते. लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य भी इसके सदस्य नहीं होते हैं.

लेकिन इन सभी के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है. लोकसभा और राज्यसभा के मत का मूल्य एक होता है और विधानसभा के सदस्यों का अलग होता है. ये राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है.

इसमें मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है.

क्या राष्ट्रपति चुनाव में टाई होता है और ऐसा होता है तो चुनाव कैसे किया जाता है?

टाई होने के बारे में संविधान बनाने वाले ने संकल्पना नहीं की थी. इसलिए इसके बारे में जिक्र नहीं है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो 1952 का कानून है उसमें भी इसका जिक्र नहीं है. ऐसी स्थिति आज तक आई भी नहीं है और आने की संभावना भी नहीं दिखती है.

राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद क्या उनका राजनीतिक जीवन खत्म हो जाता है. क्या वो उसके बाद चुनाव नहीं लड़ सकते?

संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा जा सकता है. राजनीतिक जीवन समाप्त होने का कोई सवाल नहीं उठता है. वो चाहे तो किसी भी तरह से राजनीतिक जीवन में रह सकते हैं. लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद स्वाभाविक है कि वो सांसद या विधायक या राज्यपाल बनना पसंद नहीं करेंगे. क्योंकि ये सब तो राष्ट्रपति के नीचे के पद हैं.

इमेज स्रोत, PRESIDENT OF INDIA WEBSITE

राष्ट्रपति पद का क्या महत्व है जब भारत में सारे अधिकार प्रधानमंत्री के पास होते हैं?

ऐसा नहीं है कि सारे अधिकार प्रधानमंत्री के पास रहते हैं. सबके अपने-अपने क्षेत्र हैं. पूरी कार्यपालिका की शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में होती है. राष्ट्रपति इनका प्रत्यक्ष तौर पर स्वयं या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं.

राष्ट्रपति का प्रमुख दायित्व प्रधानमंत्री को नियुक्त करना और संविधान का संरक्षण करना है. यह काम कई बार वो अपने विवेक से तय करते हैं. कोई भी अधिनियम उनकी मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता. वो मनी बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं.

राष्ट्रपति का चुनाव कौन लड़ सकता है और उस व्यक्ति की योग्यता और उम्र क्या होनी चाहिए?

भारत का नागरिक होना चाहिए. आयु कम से कम 35 साल होनी चाहिए. लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए. इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए.

राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है. फौज के प्रमुखों की नियुक्ति भी वो करते हैं.

राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है?

राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है.

इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है. इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं. फिर सदन उस पर विचार करता है. अगर दो-तिहाई सदस्य उसे मान लें तो फिर वो दूसरे सदन में जाएगा. दूसरा सदन उसकी जांच करेगा और उसके बाद दो-तिहाई समर्थन से वो भी पास कर देता है तो फिर राष्ट्रपति को पद से हटा हुआ माना जाएगा.

क्या दो ही उम्मीदवार खड़े होते हैं या ज़्यादा भी उम्मीदवार हो सकते हैं?

दो से ज्यादा भी उम्मीदवार हो सकते हैं बशर्ते कि पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले हो.

राष्ट्रपति क्षमादान के अधिकार का उपयोग कैसे करता है?

क्षमादान के अधिकार का उपयोग राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के सलाह पर ही करता है. लेकिन मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति को क्या सलाह दी है, ये अदालत में भी नहीं पूछा जा सकता है.

इमेज स्रोत, Getty Images

सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग क्या चीज़ है?

इसमें प्रावधान यह है कि राष्ट्रपति के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सिंगल ट्रांसफरेबल वोट होगा. संविधान के निर्माण के समय ये बिना किसी मीटिंग के पास हो गया था. लेकिन सवाल उठता है कि एक से ज्यादा सीटों पर अगर चुनाव हो रहा है तो आनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात होती है. एक पद के लिए नहीं.

क्या अब तक किसी राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हुआ है?

नीलम संजीव रेड्डी अकेले राष्ट्रपति हुए जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए.

13. भारत में अबतक कितने राष्ट्रपति रहे हैं और उनके नाम क्या हैं?

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पहले देश में 13 राष्ट्रपति रहे.

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद (जन्म-1884, निधन-1963)
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जन्म-1888, निधन-1975)
  • डॉ. ज़ाकिर हुसैन (जन्म-1897, निधन-1969)
  • वराहगिरी वेंकट गिरी (जन्म-1894, निधन-1980)
  • डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (जन्म-1905, निधन-1977)
  • निलम संजीव रेड्डी (जन्म-1913, निधन-1996)
  • ज्ञानी जैल सिंह (जन्म-1916, निधन-1994)
  • आर वेंकटरमन (जन्म-1910, निधन-2009)
  • डॉ. शंकर दयाल शर्मा (जन्म-1918, निधन-1999)
  • के आर नारायनन (जन्म-1920, निधन-2005)
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (जन्म-1931, निधन-2015)
  • प्रतिभादेवी सिंह पाटिल (जन्म-1934)
  • प्रणब मुखर्जी (जन्म-1935, निधन-2020)
  • रामनाथ कोविंद (जन्म-1945)

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)