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वो सिख जिसने 161 साल पहले अयोध्या में की थी रामलला की पूजा, कोर्ट ने भी माना साक्ष्य

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Priyesh Mishra Updated Sat, 09 Nov 2019 05:19 PM IST
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Ayodhya Case Verdict 2019 Sikh Nihang Singh Faqir Khalsa pooja at Babri Masjid
अयोध्या - फोटो : amar ujala
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या भूमि विवाद पर दिए गए ऐतिहासिक फैसले में रामलला विराजमान को पूरी विवादित जमीन सौंप दी गई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया।



अयोध्या भूमि विवाद में फैसले से पहले कोर्ट ने कई गवाहों के बयान, पक्षकारों की दलीलें, ऐतिहासिक साक्ष्य और कानूनी दस्तावेजों का परीक्षण किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 161 साल पहले अयोध्या में दर्ज एक केस का भी हवाला दिया है। जिसमें एक सिख द्वारा विवादित स्थल पर पूजा किए जाने का जिक्र भी है।


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पेज संख्या 799 में 'मस्जिद परिसर से निहंग सिंह फकीर का सबूत' नामक उप शीर्षक को दर्ज किया गया है। जिसमें लिखा है कि 28 नवंबर 1858 को अयोध्या के तत्कालीन थानेदार थानेदार शीतल दुबे ने एक आवेदन दायर किया जिसमें कहा गया था कि पंजाब के रहने वाले निहंग सिंह फकीर खालसा ने मस्जिद परिसर के भीतर गुरु गोविंद सिंह के हवन और पूजा का आयोजन किया और परिसर के भीतर श्री भगवान का प्रतीक बनाया। 
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30 नवंबर 1858 को बाबरी मस्जिद के मोअज्जिन सैयद मोहम्मद खतीब ने स्टेशन हाउस ऑफिसर के समक्ष केस संख्या 884 को दर्ज कराया। जिसमें कहा गया कि निहंग सिख द्वारा मस्जिद परिसर में स्थापित निशान को हटाया जाए। 
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सैयद मोहम्मद खतीब ने अपनी रिपोर्ट में लिखा-

  • निहंग सिंह मस्जिद में दंगा पैदा कर रहे थे।
  • उन्होंने मस्जिद के अंदर जबरन चबूतरा बनाया था, मस्जिद के अंदर मूर्ति रखी, आग जलाई और पूजा की। उन्होंने मस्जिद की दीवारों पर कोयले के साथ राम राम शब्द लिखे।
  • मस्जिद मुसलमानों की पूजा का स्थान है, न कि हिंदुओं का। अगर कोई इसके अंदर जबरन किसी चीज का निर्माण करता है, तो उसे दंडित किया जाना चाहिए।
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  • इससे पहले भी बैरागियों ने लगभग 22.83 सेंटीमीटर के रामचबूतरा का निर्माण रातोंरात किया था, जब तक कि निषेधाज्ञा आदेश जारी नहीं किए गए थे।


बता दें कि आवेदन में कहा गया है कि स्पष्ट रूप से जन्मस्थान का प्रतीक वहां था और हिंदुओं ने वहां पूजा की थी।


पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का वह अंश जिसमें निहंग सिंह फकीर के पूजा किए जाने का उल्लेख है
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