नेपाल के लिए 100 कारों की पहली खेप लेकर नौतनवा पहुंची मालगाड़ी Gorakhpur News

कारों की लदान आंध्र प्रदेश के दक्षिण पश्चिम रेलवे में पडऩे वाले स्टेशन पेनूकोंडा से हुई है। स्टेशन के पास ही कार बनाने वाली निजी कंपनी का प्लांट है। आगे भी यह कंपनी नौतनवां मार्ग से मालगाडिय़ों के जरिये वाहनों को नेपाल भेजेगी।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 09:46 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 09:46 PM (IST)
नेपाल के लिए 100 कारों की पहली खेप लेकर नौतनवा पहुंची मालगाड़ी Gorakhpur News
नौतनवा स्टेशन यार्ड में मालगाड़ी के वैगन से उतारी जा रही कार।

गोरखपुर, जेएनएन। भारतीय रेलवे बांग्लादेश के बाद अब नेपाल से अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने में जुटा है। भारत में निर्मित वाहन पूर्वोत्तर रेलवे के नौतनवा रेलमार्ग से पड़ोसी मुल्क तक पहुंचाए जाएंगे। 100  कारों की पहली खेप लेकर मालगाड़ी शुक्रवार को नौतनवा स्टेशन के गुड्स यार्ड पहुंची। यार्ड में उतरी कारों को पड़ोसी राष्‍ट्र नेपाल की राजधानी काठमांडू भेज दिया गया है।

यहां से भेजी गईं हैं सभी कारें

कारों की लदान आंध्र प्रदेश के दक्षिण पश्चिम रेलवे में पडऩे वाले स्टेशन पेनूकोंडा से हुई है। स्टेशन के पास ही कार बनाने वाली निजी कंपनी का प्लांट है। आगे भी यह कंपनी नौतनवां मार्ग से मालगाडिय़ों के जरिये वाहनों को नेपाल भेजेगी। मालगाड़ी में न्यू मॉडिफाइड 25 वैगन लगे थे। पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर और इज्जतनगर स्थित यांत्रिक कारखाने में कबाड़ हो चुके कोचों से बड़े पैमाने पर न्यू मॉडिफाइड वैगनों का निर्माण हो रहा है। इन वैगनों से सहूलियत के साथ देशभर में ऑटोमोबाइल्स की ढुलाई हो रही है। नौतनवा के सोनौली बार्डर से अभी तक सड़क मार्ग से ही भारत में निर्मित वाहनों का नेपाल में निर्यात होता रहा है।

हल्दी रोड स्टेशन से सात रेक ऑटोमोबाइल्स भेज जा चुके हैं बांग्लादेश

दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे ऑटोमोबाइल्स और खाद्यान्न निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इज्जतनगर मंडल के हल्दी रोड स्टेशन से सात रेक ऑटोमोबाइल्स बांग्लादेश भेजे जा चुके हैं। लखनऊ मंडल के सुभागपुर और वाराणसी मंडल के चौरीचौरा स्टेशन से बांग्लादेश के लिए दो-दो रेक खाद्यान्न भेजे गए हैं।

रेलमार्ग से ऑटोमोबाइल्स की ढुलाई सुरक्षित और सस्ती

इस संबंध में पूर्वोत्‍तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि बिजनेस डेवलेपमेंट यूनिट के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। रेलमार्ग से ऑटोमोबाइल्स की ढुलाई सुरक्षित और सस्ती पड़ रही है। रेलवे के साथ देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है। पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिल रहा है। 

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