कितना मनमोहक दृश्य धरा कापर्वत, कानन , नदियां, विटपरवि किरणों के स्पर्श मात्र सेकलियां हो जाती पुष्प चटकनिर्झर जल के कोलाहल से होता ईश्वर का प्रेम प्रकट आसमान से है अनुभव होताजैसे स्वर्ग,धरा के अाया निकट~आदित्य राज कश्यप - Adi R. Adiyogi
कितना मनमोहक दृश्य धरा कापर्वत, कानन , नदियां, विटपरवि किरणों के स्पर्श मात्र सेकलियां हो जाती पुष्प चटकनिर्झर जल के कोलाहल से होता ईश्वर का प्रेम प्रकट आसमान से है अनुभव होताजैसे स्वर्ग,धरा के अाया निकट~आदित्य राज कश्यप
- Adi R. Adiyogi