बंगाल में माओवादियों ने बदली रणनीति, पूर्वोत्तर भारत से बनाया कॉरिडोर, जंगल महल नहीं, अब ये इलाके बने ‘हॉटस्पॉट’
Maoist In West Bengal: पश्चिम बंगाल में माओवादी फिर से सक्रिय होने लगे हैं. जंगल महल के बाद अब माओवादियों ने मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना और नदिया के कुछ इलाकों में अपना गढ़ बनाना शुरू किया है.
लगभग एक दशक पहले माओवादियों (West BengalMaoist) ने पश्चिम बंगाल के जंगल महल इलाके बांकुड़ा, पुरुलिया और पश्चिम मेदिनीपुर जिले को अपना गढ़ बनाया था और झारखंड से सटे इन जिलों से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे, लेकिन साल 2011 में ममता बनर्जी की सत्ता में आने के बाद माओवादियों (Maoist Activity in West Bengal) की गतिविधियों पर नियंत्रण लगने लगा है और पिछले कुछ सालों में माओवादी हिंसा लगभग थम सी गई है, लेकिन हाल के दिनों में माओवादी फिर से सक्रिय होने लगे हैं और जंगल महल (Jangal Mahal) के विभिन्न इलाकों में माओवादियों के धमकी भले पोस्टर मिलने लगे हैं. लेकिन खुफिया विभाग से मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों ने अपनी रणनीति बदली है. माओवादी जंगल महल के इलाकों की जगह अब राज्य के मुर्शिदाबाद, नदिया और उत्तर 24 परगना के कुछ इलाकों में अपना गढ़ बना रहे हैं.
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में माओवादियों ने इन जिलों में ग्राम आधारित गुरिल्ला जोन बनाने में सफलता हासिल की है. इसे लेकर खुफिया विभाग के अधिकारी चिंतित हैं और इससे राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है.
बंगाल में फिर से सक्रिय होने लगे हैं माओवादी
बता दें कि माओवादी नेता किशनजी की मृत्यु के बाद राज्य में माओवादियों का लगभग सफाया हो गया था. माओवादी फिर से अपनी ताकत नहीं बढ़ा ले. इसे लेकर राज्य पुलिस के गुप्तचर कड़ी कड़ी नजर रखे हुए हैं. उनकी निगाहें मुख्यतः जंगल महल के इलाकों पर थी. जंगल महल के इलाकों में संयुक्त बलों की नियमित गश्त और निगरानी के कारण पिछले एक दशक में माओवादी इस इलाके में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं, लेकिन हाल ही में माओवादियों के असम के शीर्ष नेताओं में से एक नेता की गिरफ्तारी के बाद गुप्तचर एजेंसी एनआईए को चौंकाने वाली जानकारी मिली है.
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माओवादियों ने बदली रणनीति, पूर्वोत्तर भारत से बनाया कॉरिडोर
खुफिया विभाग की आंखों में धूल झोंकने के लिए माओवादियों ने अपनी रणनीति बदली है. माओवादियों की पश्चिम बंगाल राज्य समिति को भंग कर दिया गया है और दो अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है. सब्यसाची गोस्वामी उर्फ किशोर दक्षिण बंगाल में टीम के प्रभारी बनाया गया है. भागीरथी-तीस्ता क्षेत्रीय समिति का पुनर्गठन किया गया है और उत्तर 24 परगना, नादिया और मुर्शिदाबाद के कुछ इलाकों में संगठन के विस्तार की रणनीति बनाई गई है. माओवादियों ने एनआरसी विरोधी और सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल होकर जनाधार बढ़ाने और दक्षिण बंगाल से उत्तर-पूर्वी भारत तक का कॉरिडोर बनाने की रणनीति बनाई है. इस साल मार्च में माओवादी केंद्रीय समिति के नेता नेता अरुण भट्टाचार्य और उनके साथी आकाश ओराव को असम के कछार जिले के उदारबंध में एक चाय बागान से गिरफ्तार किया गया था. अरुण या कंचंदा हावड़ा शिबपुर के निवासी है. वह पहले झारखंड में संगठन के प्रभारी थे. साल 2019 में उन्हें असम में संगठन के प्रभारी के रूप में भेजा गया था. पूछताछ में उन्होंने ही यह खुलासा किया है और बताया है कि बंगाल में किस तरह से माओवादी सक्रिय हो रहे हैं.