नवाचार का होगा स्वागत –
अर्थशास्त्री प्रो. हनुमंत यादव के मुताबिक आर्थिक उदारवाद के बाद यह पहला मौका है जब अर्थव्यवस्था के समूचे व्यवहार और विचार को बदलने की बात है। कोविड-19 ने बाजार में नवाचारों के लिए जहां स्थान पैदा किया है, वहीं इनके स्वागत की पृष्ठभूमि भी बनाई है। ऐसे में नए तरीके से उत्पाद की खरीद-बिक्री होगी। मसलन दुकानें छोटी होंगी, बाजार का भौतिक आकार भी घटेगा, लेकिन व्यापार बढ़ेगा।
नए दशक का अस्त्र तकनीक –
आइटी एक्सपर्ट व बिजनेस ऐप डवलपर प्रशांत अग्रवाल के अनुसार बाजार में डिजिटल तकनीक का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। ऑनलाइन मार्केट, कॉलिंग बेस मार्केट, टेली शॉपिंग और अधिक विश्वसनीय सेवाओं के साथ आएंगी। साल 2021 जुलाई में उदारवाद के तीन दशक पूरे होंगे। चौथा दशक शुरू होगा। पहला दशक समझने में लगा, दूसरे में बूम रहा, तीसरा डाउन रहा, लेकिन चौथा रफ्तार वाला रहेगा।
क्वांटम की तरह फिर आएगा उछाल –
बाजार में दबाव बहुत है। विशेषज्ञ मानते हैं जिस गति से बाजार में सप्रेशन आया है उसी गति से क्वांटम की तरह यह उछलेगा भी। चूंकि भारत में खरीदारी की आदत बचत केंद्रित है, इसलिए लोग पैसा होकर भी निकाल नहीं रहे। जैसे ही वैक्सीन आएगी तो लोगों को आगे का दिखने लगेगा। तब वे पैसा निकालेंगे और बाजार एकदम उछलेगा।
स्वदेशी इंजन से पकड़ेगा रफ्तार –
स्वास्थ में भारतीय जीवनशैली, खानपान, जीवनचर्या सार्थक सिद्ध हुई। केंद्र की आत्मनिर्भर भारत की नीतिगत पहल अच्छा असर डालेगी। मार्केट एक्सपर्ट योगेश ताम्रकार कहते हैं, नीति और लोक-विश्वास ने स्वदेशी को मजबूत किया है। उदारवाद से अब तक स्वदेशी स्पर्धा में नहीं था, लेकिन अब मौका है। दिवाली के दौरान हमने देखा भी है,बाजार में स्वदेशी उत्पादों की काफी मांग रही।
कपड़े का बाजार, होगा गुलजार –
कुल जमा मंदी से मुक्ति मिलेगी। अर्थविद प्रो. अरविंद सिंह मानते हैं, कपड़े का रेगुलर बाजार अच्छा करेगा, लेकिन शादी, पार्टी, सोशल गेदरिंग वाले बाजार को धैर्य रखना होगा।
बैंड बाजा, बारात के सामने चैलेंज –
विवाह से जुड़े व्यवसाय में बड़ा चैलेंज रहेगा। सोशल गेदरिंग को लेकर वैक्सीन के बाद भी न्यूनतम बंधन रहेंगे। इसलिए शादी हॉल, बैंड, कपड़े आदि काम में सुस्ती रह सकती है।
ऑनलाइन शिक्षा बनेगी बड़ा बाजार –
शिक्षा क्षेत्र में नवाचार हो रहे हैं। स्कूल, कॉलेज पटरी पर आएंगे, परंतु वैकल्पिक माध्यम के रूप में ऑन-लाइन शिक्षा उभरेगी। यह मध्यमवर्गीय रोजगार का बड़ा साधन होगा।
छोटे दुकानदार – नए दौर में छोटे दुकानदारों की बाढ़ आएगी। इससे बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। 2021 में कम एफएमसीजी तेजी से बढ़ते बाजार में शुमार रहेगा।
नए रोजगार – कोरोना के बाद के समय में नए किस्म के रोजगार और काम के अवसर 2021 की ताकत बनेंगे। जैसे प्लंबर की तरह डिजिटल व डेटा मेंटेनर्स आदि उभरेंगे।
कृषि – अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से खेती जुड़ेगी। 2022 तक केंद्र का किसानों की आय दोगुनी का लक्ष्य है। इसमें नीतिगत बदलाव और निवेश बढ़ रहा है।