उदारीकरण ने देश को दीवालियेपन से उबारकर बनाया संभावित सुपरपावर
विश्व शक्ितयों के दबाव में भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्िवककरण की दिशा में कदम बढ़ाए और मनमोहन सिंह उदारीकरण के जनक बने।
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Publish Date: Thu, 21 Jul 2016 11:14:03 AM (IST)
Updated Date: Thu, 21 Jul 2016 11:20:43 AM (IST)
मल्टीमीडिया डेस्क। वर्ष 1991 में भारत को उदारीकरण के लिए अपने दरवाजे खोलने पड़े थे। दरअसल, उस वक्त देश के पास एक हफ्ते के निर्यात के बराबर ही विदेशी मुद्रा बची थी। भारत दिवालियेपन की कगार पर पहुंच चुका था। भारत को विदेशी मुद्रा की सख्त जरूरत थी।
ऐसे में विश्व शक्ितयों के दबाव में भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्िवककरण की दिशा में कदम बढ़ाए। लाइसेंसी राज को खत्म किया गया और सरकार ने उद्योगों से हाथ खींचकर नियामक की भूमिका में आ गई। इस साल आर्थिक सुधारों के 25 वर्ष इस साल पूरे हो गए।
मनमोहन सिंह बने उदारीकरण के जनक
इस काम के लिए नरसिंह राव प्रख्यात अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को अपनी कैबिनेट में वित्त मंत्री बनाकर ले आए जिस पर कई लोगों को हैरानी हुई। मगर, मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने के साथ ही उदारीकरण की राह प्रशस्त की और भारतीय बाजार को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया।
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यही वजह है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक उदारीकरण का जनक माना जाता है। इसके पहले तक भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उदारीकरण के पहले देश की जीडीपी दर एक फीसद थी। जुलाई 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा लागू आर्थिक सुधारों के कारण आज भारत परचेजिंग पावर पैरिटी के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
संभावित सुपरपावर बनने दिशा में कदम
अब सिर्फ चीन और अमेरिका ही भारत से बड़ी अर्थव्यवस्था है। हम सभी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं और जापान से आगे निकल चुके हैं। वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए कोई मायने नहीं रखती थी। मगर, वर्तमान में 7.6 प्रतिशत की विकास दर को छूते हुए भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है।
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यही वजह है कि आज भारत को संभावित सुपरपावर के रूप में देखा जा रहा है। भारत को एकमात्र एशियाई शक्ति के रूप में देखा जा रहा है जो 21वीं सदी में चीन को टक्कर दे सकता है। यही वजह है कि अमेरिका ने न्यूक्लियर क्लब में भारत की एंट्री की व्यवस्था की और अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर रहा है।