नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लागू होने से परेशान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चेतावनी दी है कि अपने राज्य में वह इसे हर्गिज नहीं लागू होने देंगी। हालांकि यह कानून संसद से पास हो चुका है। ऐसे में कोई राज्य सरकार इसे मानने से मना नहीं कर सकता है। ममता बनर्जी की चिंता की सबसे बड़ी वजह राज्य के दक्षिणी क्षेत्र के नादिया जिले का मतुआ समुदाय है। यह समुदाय चुनाव में अहम रोल निभाएगा।

राज्य के आठ जिलों में है मतुआ समुदाय की बड़ी आबादी

यह समुदाय मूल रूप से शरणार्थी है, जो देश के विभाजन के समय बांग्लादेश से भागकर बंगाल में आया था। उस समय बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था और पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था। बड़ी संख्या में होने के बावजूद इन्हें आज तक भारत की नागरिकता नहीं मिल सकी है। ये लगातार भारत सरकार से नागरिकता की मांग कर रहे थे, कई बार आंदोलन भी किए, लेकिन पिछले 70 सालों में ऐसा हो नहीं सका। अब मोदी सरकार ने सीएए लागू कर दिया है। इससे अब इनको नागरिकता आसानी से मिल जाएगी। इनकी अधिकतर आबादी बंगाल में है। राज्य के उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नादिया, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूचबिहार, पूर्वी और पश्चिमी बर्धमान जिले में इनकी काफी आबादी है।

2019 के चुनाव में भी यह फैक्टर काफी असरदार दिखा था

सीएम ममता बनर्जी को चिंता है कि नागरिकता संशोधन कानून लागू होने से मतुआ समुदाय बीजेपी को वोट देगा। इससे पांच से छह सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का नुकसान हो जाएगा। क्यों कई विधानसभा क्षेत्रों में इनकी आबादी 80 फीसदी से ज्यादा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में इस फैक्टर का असर दिखाई दिया था। तब टीएमसी करीब 12 विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गई थी।

बीजेपी वहां तेजी से आगे बढ़ी थी। जिन क्षेत्रों में मतुआ समुदाय के लोग हैं, वहां तो बीजेपी को फायदा होगा ही, उन इलाकों में भी लाभ मिलने की संभावना है, जहां बड़ी संख्या में हिंदू शरणार्थी रहते हैं और नागरिकता की मांग कर रहे हैं। इससे तृणमूल कांग्रेस बेचैन है। अगर बंगाल में ममता बनर्जी की पांच-छह सीटों का नुकसान होता है, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।

बंगाल के जलपाईगुड़ी, कूच विहार और बालुरघाट आदि क्षेत्रों में करीब 40 लाख से अधिक हिंदू शरणार्थी रहते हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी को इन सीटों पर जीत भी मिली थी। इन सब वजहों और ऐन चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से तृणमूल कांग्रेस की नेता और सीएम ममता बनर्जी की बेचैनी बढ़ गई है।