भारत ने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया है। वहीं कोरोना और लोकसभा चुनाव के कारण जनगणना भी तीन साल आगे खिसक गई है। देश की जनगणना को अगले आदेश तक 2024-25 तक टाल दिया गया है। इसके पहले व्यापक फील्डवर्क एक्सरसाइज को 2020 में कोविड-19 के कारण स्थगित कर दिया गया था।

दिसंबर 2022 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के कार्यालय ने प्रशासनिक सीमाओं को मुक्त करने की समय सीमा 30 जून, 2023 तक बढ़ा दी थी। ये फील्डवर्क शुरू होने से पहले का कदम है। प्रशासनिक सीमाएं तय होने के कुछ महीने बाद ही जनगणना शुरू हो सकती है। लेकिन अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव होने हैं, इसलिए इस साल इसकी संभावना खारिज हो गई है। इसके अलावा जनगणना का काम हाउस-लिस्टिंग गणना से पहले किया जाएगा। इससे पहले क्षेत्राधिकार परिवर्तन की समय सीमा 31 दिसंबर 2022 थी।

मार्च 2022 में सरकार ने जनगणना नियमों में कुछ संशोधनों को अधिसूचित किया था ताकि नागरिकों को जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में स्वयं गणना करने की अनुमति मिल सके। इससे बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि जनगणना अभ्यास का हाउस-लिस्टिंग चरण 2022 में ही शुरू हो सकता है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में RGI ने समय सीमा बढ़ाने के कारण के रूप में कोरोना महामारी का हवाला दिया था। 2020 के बाद से ऐसे कई बार समय सीमा विस्तार के लिए एक ही कारण दिया गया है।

2021 की जनगणना के लिए RGI ने पहली बार 22 दिसंबर 2017 को एक क्षेत्राधिकार परिवर्तन अपडेट नोटिस जारी किया था। इसके बाद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 31 जनवरी, 2020 तक परिवर्तनों को अपडेट करने के लिए कहा।

न्यायिक परिवर्तनों के अपडेट की समय सीमा पहले 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाई गई थी। फिर 31 मार्च 2021 तक, उसके बाद 30 जून 2021, आगे 31 दिसंबर 2021, उसके बाद 30 जून, 2022 और अंत में 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ाया गया था। जबकि एनपीआर और एनआरसी दोनों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर बहुत विवाद पैदा किया, जिसका कई राज्यों ने विरोध किया। इसके बाद देश में कोविड-19 के प्रकोप के कारण 2020 की शुरुआत में जनगणना गणना की समय सीमा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी। RGI के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में जिलों की संख्या 2011 में 640 से बढ़कर 736 हो गई थी।