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पश्चिम बंगाल में बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक! सेंट पॉल कैथेड्रल और आगरा के ताजमहल को देगा टक्कर, जानें कौन जा सकेगा टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम में

Temple of Vedic Planetarium: पश्चिम बंगाल में टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम बनने जा रहा है. ये इस्कॉन का हेड क्वार्टर होगा. बता दें, ये धार्मिक स्मारक 2010 में बनना शुरू हुआ था जो 2024 में पूरा होगा.

Temple of vedic planetarium (Photo: Official Website) Temple of vedic planetarium (Photo: Official Website)
हाइलाइट्स
  • कोविड -19 के कारण इसके निर्माण में दो साल की देरी हुई

  • इस बड़े प्रोजेक्ट के हेड अल्फ्रेड फोर्ड हैं

पश्चिम बंगाल के मायापुर में एक ऐसा मंदिर बनने जा रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक होगा. ये वेटिकन स्थित सेंट पॉल कैथेड्रल और आगरा के ताजमहल से भी बड़ा होगा. यह साल 2024 में बनकर तैयार हो जाएगा. हालांकि, कोविड -19 के कारण इसके निर्माण में दो साल की देरी हुई. लेकिन जल्द ही इसे सबके लिए खोल दिया जाएगा. 

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित ‘टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम’ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक होगा. अभी तक कंबोडिया का अंगकोरवाट मंदिर इसकी जगह था. यह 400 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिसे 12 वीं शताब्दी में बनाया गया.

क्या है इसके बनने की कहानी?

दरअसल, टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद का विजन है. ये अमेरिका के कैपिटल भवन के डिजाइन से प्रेरित है. जुलाई 1976 में श्रील प्रभुपाद ने मंदिर के बाहरी स्ट्रक्चर के लिए अपनी प्राथमिकता बताई थी.  जब वे वाशिंगटन में थे तब उन्होंने विशाखा माताजी और यदुबारा प्रभु से कैपिटल की तस्वीरें लेने के लिए कहा था. इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इस मंदिर को बनाने में लगने वाली लागत में योगदान देने के लिए भी कहा था. 

टेम्पल ऑफ वैदिक प्लैनेटेरियम को इस्कॉन का हेड क्वार्टर भी बनाया गया है.

फोर्ड से है नाता 

बता दें, इस बड़े प्रोजेक्ट के हेड अल्फ्रेड फोर्ड हैं, जो प्रसिद्ध बिजनेसमैन हेनरी फोर्ड के परपोते और फोर्ड मोटर कंपनी के भावी मालिक हैं. उन्होंने इस्कॉन में शामिल होने के बाद 1975 में अपना नाम बदलकर अंबरीश दास रख लिया था. मायापुर को इस्कॉन के हेड क्वार्टर में बदलने के विचार के लिए उन्होंने बुनियादी ढांचे के लिए 30 मिलियन डॉलर दिए हैं.

मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था, और इसकी लागत $ 100 मिलियन होने की उम्मीद है. इसके प्रत्येक मंजिल पर, मंदिर में 10,000 भक्त बैठ सकते हैं और साथ में प्रार्थना कर सकते हैं, गा सकते हैं और नृत्य भी कर सकते हैं.

इसके निर्माण के पीछे क्या मकसद है?

दरअसल, इस मंदिर के निर्माण के पीछे का उद्देश्य एक वैदिक संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी देनी है और उन्हें जागरूक करना है. आचार्य प्रभुपाद ने एक ऐसे स्ट्रक्चर को बनाने की कल्पना की जो वैदिक ज्ञान को फैलाने में मदद करेगा.  

कौन जा सकेगा इस मंदिर में?

बता दें, भगवान कृष्ण को समर्पित इस वैदिक प्लेनेटोरियम को सभी धर्मों, जातियों और पंथों के लोगों के लिए खोला गया है. कोई भी इस मंदिर में जा सकता है, अनुष्ठानों और संत कीर्तन में भाग ले सकता है. एक बार खुलने के बाद, मंदिर न केवल शहर के पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के विस्तार में भी मदद करेगा. हालांकि, मायापुर को हेरिटेज सिटी का टैग इसलिए दिया गया है क्योंकि यहां हर साल 70 लाख पर्यटक आते हैं.