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JDU के राज्यसभा प्रत्याशी अनिल हेगड़े.. आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी, रिकार्ड बार दी है गिरफ्तारी

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Published : May 16, 2022, 8:09 PM IST

Anil Hegde JDU Candidate
Anil Hegde JDU Candidate

अनिल हेगड़े जेडीयू के राज्यसभा प्रत्याशी (Anil Hegde JDU Candidate) घोषित होने के बाद चर्चा में हैं. वे आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी रहे हैं. विदेशी कंपनियों के खिलाफ उन्होंने वर्षों आंदोलन किया है. सबसे इंटरेस्टिंग बात यह है कि उन्होंने करीब रिकार्ड पांच हजार बार गिरफ्तारी दी है. उनके बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ये विशेष रिपोर्ट.

पटना: जेडीयू ने इस बार राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha By Election 2022) में अपने एक पुराने कार्यकर्ता अनिल हेगड़े को प्रत्याशी (Anil Hegde JDU Rajya Sabha candidate) बनाया है. उनका नाम है अनिल हेगड़े. प्रत्याशी के तौर पर नाम घोषित होने के बाद वे देश भर में खासे चर्चा में हैं. लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं. जिस सीट से अनिल हेगड़े को प्रत्याशी बनाया गया है, वह किंग महेंद्र के निधन से रिक्त हुई है. प्रत्याशी के तौर पर नाम घोषित होने के बाद अनिल हेगड़े के बारे में जानने के लिए लोगों में दिलचस्पी बढ़ गयी है. मूल रूप से कर्नाटक के उडुपी जिले के रहने वाले अनिल हेगड़े आर्थिक उदारीकरण के प्रबल विरोधी नेता माने जाते हैं.

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दिलचस्प है हेगड़े की कहानी: जेडीयू के राज्यसभा प्रत्याशी अनिल हेगड़े की कहानी काफी दिलचस्प है. उन्होंने अब तक आंदोलनों के चलते करीब पांच हजार बार गिरफ्तारी दी है. वे 14 साल तक विदेशी कंपनियों के खिलाफ नई दिल्ली के पार्लियामेंट थाने पर प्रदर्शन कर गिरफ्तारी देते रहे. राजनीतिक आंदोलनों में गिरफ्तारियों को लेकर अनिल हेगड़े के नाम की चर्चा जरूर होती है.

समाजवादी विचारधारा के प्रति समर्पित: अनिल हेगड़े पिछले 38 साल से सक्रिय राजनीति में हैं. सबसे पहले जनता पार्टी, फिर जनता दल और समता पार्टी के बाद वे जेडीयू में हैं. अनिल हेगड़े ने रामकृष्ण हेगड़े के साथ जनता पार्टी में कार्य किया. वे बाद में जॉर्ज फर्नांडिस और पूर्व पीएम चंद्रशेखर के करीबी रहे. अनिल हेगड़े की गिनती देश में समाजवादी विचारधारा के प्रति पूरी तरह समर्पित नेताओं में होती है. डंकन प्रस्ताव हो या फिर कांडला पोर्ट पर हड़ताल, इन सभी में अनिल हेगड़े शामिल रहे.

सादगी के चलते खास पहचान: वे 1994 से 2008 तक जॉर्ज फर्नांडिस के खास रहे. पार्टी के प्रस्ताव बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहा करती थी. उडुपी जिले के एक साधारण परिवार में जन्में अनिल हेगड़े के पिता किसान थे. अनिल हेगड़े पिछले 12 साल से पटना में जेडीयू कार्यालय में ही रहते हैं. सादगी के लिए कार्यकर्ताओं के बीच उनकी खास पहचान है. हेगड़े की गिनती ऐसे नेताओं में होती है जिन्हें कभी किसी पद का लोभ नहीं रहा. जेडीयू नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने कभी किसी पद की मांग नहीं की. वे पार्टी के निर्वाचन अधिकारी के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं. अनिल हेगड़े को लेकर कहा जाता है कि वे समाजवादी विचारधारा के नेता हैं.

जेडीयू कार्यकर्ताओं को मैसेज: जेडीयू ने किंग महेंद्र के निधन से रिक्त हुई सीट पर हो रहे उपचुनाव में अनिल हेगड़े को प्रत्याशी बनाया है. उनका कार्यकाल मात्र दो साल का होगा. जेडीयू के इस फैसले को बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रही पार्टी को मजबूती देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि अनिल हेगड़े को राज्यसभा भेजकर पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं होती है.

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