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West Bengal: क्या ममता बनर्जी का किला जीत पाएगी भाजपा, अमित शाह-नड्डा ने बनाई नई रणनीति

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Tue, 26 Dec 2023 05:33 PM IST
सार

नई प्रबंध समिति में गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, सुवेंदु अधिकारी, दिलीप घोष और लॉकेट चटर्जी सहित 15 सदस्य बनाए गए हैं। ये सदस्य 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति बनाने का काम करेंगे...

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West Bengal: BJP has announced a new Election Management Committee to win Mamata Banerjee fort
West Bengal: BJP - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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विस्तार
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भाजपा ने ममता बनर्जी के किले में सेंध लगाने के लिए नई चुनाव प्रबंधन समिति का एलान कर दिया है। नई प्रबंध समिति में गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, सुवेंदु अधिकारी, दिलीप घोष और लॉकेट चटर्जी सहित 15 सदस्य बनाए गए हैं। ये सदस्य 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति बनाने का काम करेंगे। भाजपा ने 2024 में पश्चिम बंगाल से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। क्या यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, क्या भाजपा के लिए ममता बनर्जी के किले को भेद पाना संभव होगा?

भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हराने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी। ममता बनर्जी के दाहिने हाथ रहे सुवेंदु अधिकारी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अपनी पूरी टीम के साथ राज्य में कैंप किया था और जबरदस्त प्रचार किया था। इसके बाद भी भाजपा अपनी सीटों की संख्या 74 से बढ़ाकर 77 ही कर सकी। हालांकि, इस हाई प्रोफाइल चुनाव में उसके मत प्रतिशत में लगभग 28 फीसदी का उछाल आया था और उसने लगभग 38 फीसदी वोट प्राप्त किया था।

इस चुनाव में कांग्रेस और वाम दलों ने भाजपा को रोकने के लिए खुद को पीछे कर लिया था और पूरा चुनाव केवल भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को हुआ था। यही कारण है कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के साथ भी पूरा गैर भाजपाई वोटर इकट्ठा हो गया और उसका मत प्रतिशत उछलकर 48.02 फीसदी तक पहुंच गया। इसके पूर्व के विधानसभा चुनाव में टीएमसी का मत प्रतिशत 45 से कुछ कम ही था।

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यानी सही मायने में 2021 के विधानसभा चुनाव में ही बंगाल ने इंडिया गठबंधन का प्रयोग कर लिया था, जिसमें पूरा विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट हो गया था। गैर भाजपाई मतों में बंटवारा न होने का परिणाम हुआ कि भाजपा की सीटों में पूरी कोशिश के बाद भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो पाई, जबकि ममता बनर्जी 294 सीटों के सदन में 215 सीटों तक जा पहुंचीं।     

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कांग्रेस में विद्रोह

लेकिन ममता बनर्जी की मजबूती ही इस चुनाव में उनकी कमजोरी भी साबित हो सकती है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को बंगाल में कोई भी गठबंधन करने से मना कर दिया है। कथित तौर पर अधीर रंजन चौधरी ने राहुल गांधी को यह बता दिया है कि यदि विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस ने खुद को पीछे कर लिया, तो उससे भाजपा को जरूर नुकसान होगा, लेकिन इस कोशिश में पार्टी बंगाल से समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि जिस तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से हाथ मिलाने के कारण वहां कांग्रेस समाप्त हो गई, वही हाल बंगाल में भी हो सकता है।

वहीं, वाम दलों ने भी कह दिया है कि वे अब तृणमूल कांग्रेस से समझौता नहीं करेंगे। इससे वे भी हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे। यदि उन्हें अपना अस्तित्व बचाना है, तो उन्हें इंडिया गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ना होगा। ऐसी स्थिति में पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर तनाव बढ़ सकता है। यदि इन दलों में सहमति नहीं बनी तो भाजपा को इसका लाभ हो सकता है।   

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