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नेपाल में माओवादियों के सबसे बड़े नेता प्रचंड काठमांडू सीट से चुनाव हारे

नेपाल के पू्र्व विद्रोही नेता और माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड काठमांडू सीट से चुनाव हार गए हैं. सरकारी टीवी ने यह जानकारी दी है. प्रचंड की पार्टी ने इस नतीजे का विरोध करते हुए वोटों की गिनती रोकने को कहा है.

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नेपाल के माओवादी नेता प्रचंड
नेपाल के माओवादी नेता प्रचंड

नेपाल के पू्र्व विद्रोही नेता और माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड काठमांडू सीट से चुनाव हार गए हैं. सरकारी टीवी ने यह जानकारी दी है. प्रचंड की पार्टी ने इस नतीजे का विरोध करते हुए वोटों की गिनती रोकने को कहा है. उनका आरोप है कि प्रचंड को हराने के लिए गिनती में धांधली की गई. गौरतलब है कि राजधानी काठमांडू की इस सीट पर प्रचंड तीसरे स्थान पर रहे. चुनाव जीतने वाले नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार से वह 7,500 वोटों से पिछड़े.

ज्यादातर सीटों पर हार रहे माओवादी
सिर्फ काठमांडू सीट ही नहीं, पूरे देश में भी नेपाल की माओवादी पार्टी शुरुआती गिनती में चुनाव हारती नजर आ रही है. 240 सीटों के लिए आए परिणामों में से 150 में माओवादी अपने प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ते दिख रहे हैं.माओवादियों के आरोप पर नेपाल के मुख्य चुनाव अधिकारी नील कंठ उप्रेती ने कहा कि वोटों की गिनती बिल्कुल पारदर्शी तरीके से हो रही है और यह जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि चुनाव जनता के निर्णयों को समझने का एक तरीका है. मैं सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे जनता की भावनाओं की कद्र करें. इस चुनाव में लाखों नेपालियों ने हिंसा की धमकियों की परवाह किए बगैर वोट दिया. चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 70 प्रतिशत लोगों ने वोटिंग की. अणेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर इस चुनाव में पर्यवेक्षक थे. उन्होंने कहा कि ये चुनाव आगे की ओर एक कदम हैं. उन्होंने कहा कि सभी इस बात को मान रहे हैं कि ये चुनाव निष्पक्ष रहे हैं.

माओवादी कह रहे वोटों की गिनती रोको
उधर पार्टी ने हार के संकेत देखते ही कहना शुरू कर दिया कि देश की प्रगतिशील ताकतों को पीछे छोड़ने के लिए षडयंत्र रचा जा रहा है. एक बयान में पार्टी ने कहा कि असेंबली चुनाव में षडयंत्र और अस्वाभाविक गतिविधियों के कारण मतों की गणना जनता की आशाओं के अनुरूप नहीं हो सकीं, इसलिए हम मांग करते हैं कि वोटों की गिनती का काम रोक दिया जाए.

पिछले चुनाव में जबरदस्त जीत मिली थी प्रचंड और पार्टी को
माओवादी पार्टी ने प्रचंड के नेतृत्व में 2008 में हुए चुनाव में जबर्दस्त सफलता पाई थी. दस सालों तक लड़ाई लड़ने के बाद माओवादी मुख्य धारा में शामिल हुए थे. उन्होंने जनता से वादा किया था कि अगर वे सत्ता में आए तो वे समाज में बदलाव लाएंगे, आर्थिक खुशहाली बढ़ाएंगे और शांति कायम करेंगे. लेकिन वे इन सब में असफल रहे. इसके विपरीत उन पर भ्रष्टाचार और विलासिता पूर्ण जीवन जीने के आरोप लगे.

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