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क्या प्रियंका के लिए तैयार है राहुल गांधी का ‘प्लान-बी’? जयराम रमेश के ट्वीट से फिर कयासबाजी

कांग्रेस ने ऐलान किया कि गांधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे. इस सीट से अब तक सोनिया गांधी चुनाव लड़ती आई हैं. राहुल अमेठी से चुनाव लड़ते थे. लेकिन इस बार पार्टी ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने दोनों टिकट के ऐलान में देरी के पीछे यही तर्क दिया है कि पार्टी नेतृत्व ने विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया है.

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रायबरेली से राहुल गांधी के नामांकन प्रक्रिया में प्रियंका गांधी ने भी हिस्सा लिया है. (फाइल फोटो)
रायबरेली से राहुल गांधी के नामांकन प्रक्रिया में प्रियंका गांधी ने भी हिस्सा लिया है. (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव में यूपी की अमेठी और रायबरेली सीट पर काफी सस्पेंस के बाद कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. लेकिन, पार्टी महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कांग्रेस की ‘सीक्रेट रणनीति’ की बात कहकर इस बारे में कयासों को जिंदा रखा है कि प्रियंका गांधी जल्द ही चुनावी राजनीति में कूद सकती हैं. गौरतलब है कि प्रियंका के अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने के कयास तब से ही लगाए जा रहे थे, जब सोनिया गांधी ने लोकसभा की बजाय राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचने का रास्ता चुना. 

अमेठी-रायबरेली में जैसे ही आज कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम सामने आए, इन अटकलों पर विराम लग गया लेकिन थोड़ी ही देर बाद जयराम रमेश ने एक ट्वीट कर फिर से राजनीतिक पंडितों को प्रियंका के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है. जयराम ने ट्वीट किया कि राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं. लेकिन वो राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं. उन्होंने आगे कहा, शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं, थोड़ा इंतजार कीजिए.

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अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार घोषित

इससे पहले कांग्रेस ने ऐलान किया कि गांधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली से राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे. राहुल ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. इस सीट से अब तक सोनिया गांधी चुनाव लड़ती आई हैं. राहुल अमेठी से चुनाव लड़ते थे. लेकिन इस बार पार्टी ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा पर भरोसा जताया है. उन्होंने भी नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. कांग्रेस ने दोनों टिकट के ऐलान में देरी के पीछे यही तर्क दिया है कि पार्टी नेतृत्व ने विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया है. हालांकि, इसके पीछे एक अन्य वजह INDIA ब्लॉक में सहयोगी समाजवादी पार्टी को भी माना जा रहा है.

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सीट शेयरिंग से पहले अखिलेश ने क्या शर्त रखी थी?

दरअसल, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के बीच अलायंस हुआ है. दोनों INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं. यूपी में कुल 80 सीटें हैं. 16 सीटें कांग्रेस के खाते में आई हैं. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि जब कांग्रेस-सपा के बीच सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बनी थी, तब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक शर्त रखी थी कि गांधी परिवार (राहुल गांधी-प्रियंका गांधी वाड्रा) में से किसी एक को यूपी से चुनाव लड़ना चाहिए. ऐसे में गांधी परिवार के पास अखिलेश की उस शर्त पर अमल के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था. यही वजह है कि राहुल को यूपी की सबसे सुरक्षित सीट रायबरेली से मैदान में उतारने पर अंतिम समय मुहर लगाई गई.

अमेठी के इंटरनल सर्वे ने बदला फैसला? 

वरिष्ठ पत्रकार किदवई कहते हैं कि इससे पहले कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली में अलग-अलग इंटरनल सर्वे करवाए. 16 सर्वे की रिपोर्ट्स आईं. इन सभी सर्वे में नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य के लिए रायबरेली सीट को सबसे सुरक्षित माना गया. यहां कांग्रेस ने मोदी लहर में भी अपने किले को बचाकर रखा है. हालांकि, अमेठी से मिले फीडबैक ने सिर्फ 50 प्रतिशत सफलता की संभावना जताई थी. शुक्रवार को जब कांग्रेस ने आखिरी समय अपने पत्ते खोले तो यह चर्चा तेज हो गई कि राहुल गांधी ने अमेठी का मैदान क्यों छोड़ दिया है? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश भी इस तरह के सवालों का खुलकर जवाब देते हैं. 

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जयराम कहते हैं कि राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय हैं. इस निर्णय से BJP, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गए हैं. बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो ‘परंपरागत सीट’ की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें?

प्रियंका गांधी के बारे में क्या?

प्रियंका गांधी के चुनाव नहीं लड़ने पर काफी सवाल पूछे जा रहे हैं. जयराम रमेश कहते हैं कि प्रियंका जी धुआंधार प्रचार कर रही हैं और अकेली नरेंद्र मोदी के हर झूठ का जवाब सच से देकर उनकी बोलती बंद कर रही हैं, इसीलिए यह जरूरी था कि उन्हें सिर्फ अपने चुनाव क्षेत्र तक सीमित ना रखा जाए. प्रियंका जी तो कोई भी उपचुनाव लड़कर सदन पहुंच जाएंगी. शतरंज की कुछ चालें बाकी हैं, थोड़ा इंतजार कीजिए. 

जयराम ने जिस तरह प्रियंका के लिए उपचुनाव की बात कही है उससे फिर से कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली की सुरक्षित सीट देकर प्रियंका को उपचुनाव के जरिए सदन में भेजने का रास्ता चुना है. कांग्रेस को वायनाड से राहुल की जीत पक्की लग रही है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या रायबरेली में जीतने के बाद राहुल यहां से सांसद रहेंगे और वायनाड सीट छोड़ने पर होने वाले उपचुनाव में अपनी बहन प्रियंका के लिए चुनावी राजनीति के द्वार खोलेंगे?

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दरअसल, प्रियंका को लेकर कहा जा रहा है कि वे स्टार प्रचारक के रूप में पार्टी के चुनावी अभियान को रफ्तार दे रही हैं, इससे उनकी लोकप्रिय भी बढ़ी है. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रियंका ने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनावों में बराबरी के बीच पहले स्थान पर रहें और केंद्र में रहें. यदि राहुल वायनाड और रायबरेली दोनों जीतते हैं तो प्रियंका बाद में उपचुनाव में कदम रख सकती हैं.

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं कि किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह राजनीति भी एक जटिल क्षेत्र है, जिसमें बहुत सारी संभावनाएं और असंभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसे समझने के लिए सोनिया गांधी के करियर पर करीब से नजर डालने की जरूरत है. कुछ इसी तरह के राजनीतिक हालात 2019 में भी बने थे, तब यह माना जा रहा था कि राहुल अगर अमेठी और वायनाड से चुनाव जीतते हैं तो वो प्रियंका गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ देंगे. लेकिन, अमेठी में राहुल को हार का सामना करना पड़ा था और वायनाड से जीतकर वह संसद पहुंचे थे.

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