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बर्थडे स्पेशल: मनमोहन को ही जाता है देश में आर्थिक उदारीकरण का दौर लाने का श्रेय

मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. 10 साल के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी पर कई सवाल उठे, लेकिन यही सादगी उनकी सबसे बड़ी विशेषता भी रही.

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हैप्पी बर्थडे मनमोहन सिंह
हैप्पी बर्थडे मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज जन्मदिन है. देश में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले मनमोहन का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. 10 साल के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह की चुप्पी पर कई सवाल उठे, लेकिन यही सादगी उनकी सबसे बड़ी विशेषता भी रही.

मेरे फैसले पर संदेह करने वाले गलत साबित हुए

हाल ही में मनमोहन सिंह ने कहा था कि वैश्वीकरण जारी रहेगा और 25 साल पहले जो देश की नई नीतियों को लेकर संदेह करते थे, वह आज गलत साबित हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि आर्थिक नीतियों का जोर और उसकी दिशा पिछले 25 साल से बरकरार है.

नोटबंदी पर जो बोला वही हुआ

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नोटबंदी पर चर्चा के दौरान नंवबर 2016 में राज्यसभा में मनमोहन सिंह ने साफ कहा था कि नोटबंदी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है. इससे अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है, वहीं जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट आ सकती है. हाल ही में आए आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष की जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान देश की जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई है. जीडीपी का आंकड़ा गिरकर 5.7 फीसद पर आ गया है. वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी.

1991 के बाद ग्लोबल बना भारत

1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे. देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत इन्होंने ही की थी. इसके बाद पीएम रहते हुए मनरेगा की शुरुआत भी एक बड़ा फैसला रहा, मनरेगा के कारण कई गरीब लोगों को रोजगार मिल पाया.

आर्थिक सुधारों में रहे मौजूद

- वर्ष 1971 में मनमोहन सिंह वाणिज्‍य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए. इसके तुरंत बाद साल 1972 में वित्‍त मंत्रालय में मुख्‍य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई.

- मनमोहन सिंह ने जिन सरकारी पदों पर काम किया वे हैं, वित्‍त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग में उपाध्‍यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्‍यक्ष.

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- स्‍वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में मोड़ तब आया जब मनमोहन सिंह ने वर्ष 1991 से 1996 तक की अवधि में भारत के वित्‍त मंत्री के रूप में कार्य किया. आर्थिक सुधारों की एक व्‍यापक नीति से परिचय कराने में उनकी भूमिका अब विश्‍वव्‍यापी रूप से जानी जाती है.

- मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में प्रदान किए गए कई पुरस्‍कारों और सम्‍मानों में भारत का दूसरा सर्वोच्‍च असैनिक सम्‍मान, पद्म विभूषण भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्‍म शताब्‍दी पुरस्‍कार (1995), वर्ष के वित्‍त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994), वर्ष के वित्‍त मंत्री का यूरो मनी एवार्ड (1993) क्रैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्‍कार (1956), और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्‍स कॉलेज में विशिष्‍ट कार्य के लिए राईटस पुस्‍कार (1955) प्रमुख थे.

- अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह वर्ष 1991 से भारत के संसद के ऊपरी सदन (राज्‍य सभा) के सदस्‍य रहे हैं, जहां वह वर्ष 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे.

- मनमोहन सिंह को 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्री काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है.

- 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस पद पर उन्होंने निरन्तर 5 सालों तक कार्य किया, जबकि 1990 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए.

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