Please enable javascript.Caste Census Uttar Pradesh: बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के आने के बाद यूपी में भी बढ़ी मांग अखिलेश यादव ने बताई जरूरत एसबीएसपी का साथ मायावती की भी डिमांड - caste census data in Bihar arrival demand increased in UP also Akhilesh Yadav expressed need SBSP support Mayawati also demand

यूपी में जातीय जनगणना पर घमासान, PDA के जरिए अखिलेश ने कर दिया बड़ा दावा

Curated byराहुल पराशर | नवभारतटाइम्स.कॉम 3 Oct 2023, 1:10 pm

बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के जारी होने के बाद यूपी में भी इसकी मांग तेज हो गई। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से इस संबंध में मांग की गई है। उन्होंने पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक फ्रंट के जरिए प्रदेश की सियासत में होने वाले बदलावों की भविष्यवाणी तक कर दी है।

हाइलाइट्स

  • अखिलेश यादव ने यूपी में जातीय जनगणना कराने की मांग उठाई
  • बिहार में जातीय जनगणना आंकड़ों के जारी होने के बाद बढ़ा मामला
  • एसबीएसपी ने जातीय जनगणना का किया समर्थन, बिहार सरकार से सवाल
UP Caste Census Demand
लखनऊ: बिहार में जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों के जारी होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साध दिया है। भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ ही देशव्यापी जातीय जनगणना की अपनी मांग को और तेज कर दिया है। पिछले दिनों में अखिलेश यादव की ओर से लगातार प्रदेश और देश में जातीय जनगणना कराने की मांग उठती रही है। अखिलेश ने इस मामले में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से राजनीति छोड़कर व्यापक वर्ग के हित को देखते हुए जातीय जनगणना की मांग दोहराई है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि जातीय जनगणना देश की प्रगति का मार्ग है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) देश में राजनीति की भविष्य की दिशा तय करेंगे। एनडीए में सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी अखिलेश यादव के सुर में सुर मिलाया है।
अखिलेश यादव ने बिहार जाति सर्वेक्षण डेटा को 'सामाजिक न्याय का गणितीय आधार' बताया है। सपा अध्यक्ष ने अगड़ा बनाम पिछड़ा के मसले पर निशाना साधते हुए कहा कि जातीय जनगणना 85- 15 में संघर्ष के बजाए सहयोग के नए रास्ते खोलेगी। अखिलेश ने कहा कि जो लोग दबंग नहीं हैं और सभी के अधिकारों के पैरोकार हैं। वे इसका समर्थन और स्वागत करते हैं। जो लोग वास्तव में अधिकार दिलाना चाहते हैं, वे जातीय जनगणना कराएंगे।

ताकत का अहसास कराने वाला कार्य


जाति जनगणना के महत्व पर जोर देते हुए अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि जब लोगों को उनकी ताकत (संख्या) के बारे में पता चलता है, तो यह उन्हें आत्मविश्वास देता है। सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनकी अंतरात्मा को जागृत करता है। यह उन्हें एकजुट करता है और आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। वे एकजुट होकर अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

अखिलेश ने कहा कि कमजोर तबका नए रास्ते बनाते हैं। सत्ता में बैठे लोगों और समाज के शक्तिशाली वर्गों की ओर से किए जा रहे अन्याय को समाप्त करते हैं। इससे समाज को समानता के मार्ग पर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है। इससे देश को आगे बढ़ने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना देश की प्रगति का मार्ग है। अब यह तय है कि पीडीए ही राजनीति की आगे की दिशा तय करेगा।

सुभासपा ने भी बताया सही


भाजपा की सहयोगी सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर ने भी जातीय जनगणना को सही करार दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी हमेशा राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना की समर्थक रही है। इसके बिना वंचित, गरीब और उत्पीड़ित वर्गों का सामाजिक सशक्तिकरण संभव नहीं है। जातीय सर्वेक्षण डेटा जारी करने के लिए बिहार सरकार को बधाई देते हुए अरुण राजभर ने कहा कि केवल सर्वेक्षण डेटा प्रस्तुत करने से कोई बड़ा परिणाम नहीं निकलेगा। राजद और जदयू को यह भी डेटा जारी करना चाहिए कि उनकी सरकार ने विभिन्न पिछड़ी जातियों को कितना राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया है।

अरुण राजभर ने कहा कि राजभर, भर, राजवंशी, पाल, प्रजापति जैसी जातियों को सरकार और पार्टी में कितना प्रतिनिधित्व दिया गया है। उन्हें बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने इन जातियों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए पिछले कुछ वर्षों में क्या कदम उठाए हैं? मुझे बिहार में राजवंशी समुदाय से कोई एमएलए, एमएलसी और एमपी नहीं दिखता है।

सपा के एजेंडे में रही है जातीय जनगणना


यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान समाजवादी पार्टी गठबंधन ने सरकार बनने की स्थिति में जातीय जनगणना कराने की घोषणा की थी। इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था। सरकार बनने की स्थिति में तीन माह के भीतर जातीय जनगणना का वादा किया गया था। हालांकि, अखिलेश यादव का जातीय जनगणना का दांव चुनाव में काम नहीं कर पाया। इसके बाद से इस पर चर्चा मंद हो गई थी। अब बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के सार्वजनिक किए जाने के बाद से यूपी में एक बार फिर इस पर चर्चा गरमाई है। जनवरी में रामचरितमानस के भीतर जातियों को लेकर लिखे गए दोहों का मामला उठाकर सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने सियासत गरमाई। इसके बाद से जातीय जनगणना का मुद्दा भी उठने लगा।

सपा की ओर से जातीय जनगणना के मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यभर में इसको लेकर अभियान चलाया गया। फरवरी में बजट सत्र के दौरान भी यूपी में जातीय जनगणना का मुद्दा विधानसभा के पटल पर उठा। जातीय जनगणना को लेकर बसपा प्रमुख मायावती का भी बयान आया है। उनका कहना है कि बसपा जातीय जनगणना की प्रबल समर्थक है। इसके लिए केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए।
राहुल पराशर
लेखक के बारे में
राहुल पराशर
नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर। पत्रकारिता में प्रभात खबर से शुरुआत। राष्ट्रीय सहारा, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक का सफर। डिजिटल जर्नलिज्म को जानने और सीखने की कोशिश। नित नए प्रयोग करने का प्रयास। मुजफ्फरपुर से निकलकर रांची, पटना, जमशेदपुर होते हुए लखनऊ तक का सफर।... और पढ़ें
कॉमेंट लिखें

अगला लेख

Metroकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर