छत्तीसगढ़ : साय सरकार की कानून व्यवस्था, तीन महीने में 31 माओवादी ढ़ेर

छत्तीसगढ़ : साय सरकार की कानून व्यवस्था, तीन महीने में 31 माओवादी ढ़ेर

रायपुर/ अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में एक बार फिर माओवादी चरमपंथियों के साथ भारतीय सुरक्षाब का क्षद्म युद्ध हुआ। इस मुठभेड़ में दो माओवादी चरमपंथी मारे गए। राज्य में सत्ता बदलने के बाद माओवादी चरमपंथियों के खिलाफ एक्शन तेज हो गया है। तीन महीने में 31 से ज्यादा माओवादी चरमपंथी मारे गए हैं। पुलिस की ओर से जारी खबर में बताया गया है कि केवल मार्च महीने में 10 माओवादी चरमपंथी मारे गए हैं।

छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा और बीजापुर बॉर्डर में अभी कुछ दिन पहले सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली। सुरक्षाबल के जवानों ने दो माओवादी चरमपंथियों को मार गिराया। राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद माओवादी चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई तेज हो गई है।

राज्य में दिसंबर 2023 को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी। विष्णुदेव साय को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से अभी तक एनकाउंटर में 31 माओवादी चरमपंथी मारे गए हैं। केवल तीन महीनों में माओवादियों के मारे जाने की संख्या 2023 से ज्यादा है। 2023 में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 18 माओवादी मारे गए थे।

केवल मार्च महीने में ही 11 माओवादियों को सुरक्षाबल के जवानों ने मार गिराया है। चरमपंथियों के खिलाफ सुरक्षाबल के जवानों ने आक्रामक रवैया अपनाया है। माओवादी आमतौर पर सुरक्षाबल के जवानों को निशाना बनाते हैं। माओवादी अपने टीसीओसी कैंपेन के दौरान कई घातक हमले भी प्लान करते हैं। इस दौरान माओवादी अपने-अपने संगठन में भर्ती अभियान भी चलाते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षाबल के जवान माओवादियों के टीसीओसी अभियान के दौरान सख्त कार्रवाई कर रहे हैं।

विगत कुछ दिन पहले सुरक्षाबलों ने माओवादी चरमपंथियों के खिलाफ अभियान की शुरुआत की है। बीजापुर जिले के गंगालूर और मुतवंडी के शिविरों से सीआरपीएफ, कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन (कोबरा), स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), बस्तर फाइटर्स और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड्स (डीआरजी) के सैकड़ों सुरक्षाकर्मी माओवादियों के एक बड़े संगठन के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।

सुकमा के सिलगेर और जगरगुंडा शिविरों से डीआरजी, बस्तर फाइटर्स और सीआरपीएफ के अतिरिक्त बल ऑपरेशन में शामिल हैं। यह इलाका घना जंगली है और राजधानी रायपुर से लगभग 450 किमी की दूरी पर है।

पिछले सप्ताह शनिवार सुबह करीब 8.30 बजे माओवादियों और डीआरजी जवानों के बीच मुठभेड़ हुई। जवानों की जवाबी कार्रवाई के करीब 30 मिनट बाद माओवादी पीछे हट गए और जंगल की तरह भाग। जिसके बाद जवानों ने सर्चिंग अभियान चलाया जिसमें दो नक्सलियों के शव बरामद हुए। 1 जनवरी से अब तक बलों और माओवादियों के बीच कम से कम 26 मुठभेड़ हुई हैं और 74 माओवादी घटनाएं हुई हैं।

बस्तर संभाग के सात जिलों में से बीजापुर में सबसे अधिक गोलीबारी हुई है। बीजापुर में तीन महीने से भी कम समय में 10 हमले हुए हैं जिसमें आठ माओवादी मारे गए हैं।

इस मामले में पुलिस का कहना है कि सुरक्षाबल और पुलिस जवान हर संभव कोशिश कर रहे हैं। लगातार अभियान चल रहे हैं, माओवादी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई चल रही है। बस्तर के लोगों और प्रदेश की भलाई के लिए चरमपंथियों के खिलाफ जो भी उचित कदम होगा आगे भी उठाया जाएगा।

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