भाजपा के लिए चक्रव्यूह बना उत्तर बंगाल, 8 में से 7 पर खिला था कमल, मगर इस बार डगर मुश्किल!
2024 के लोकसभा चुनाव में 370 सीटों का टार्गेट लेकर चल रही भाजपा एक-एक सीट के लिए रणनीति बनाने में जुटी है. ऐसे में उसके ...अधिक पढ़ें
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दांव भले ही दिल्ली का हो लेकिन भाजपा बाजी पश्चिम बंगाल पर भी खेल रही है. यही कारण है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 35 और 25 सीटें जीतने के दावों के बीच भाजपा फिलहाल उत्तर बंगाल में अपना दुर्ग बचाने में जुटी है. शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री खुद उत्तर बंगाल का मैदान संभालने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल के पहले सप्ताह में पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्सों में तीन चुनावी रैलियों को संबोधित कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री चार अप्रैल को कूच बिहार में एक रैली और सात अप्रैल को जलपाईगुड़ी और बालुरघाट में दो बैक-टू-बैक रैलियों को संबोधित करेंगे. पहले चरण में अप्रैल में कूचबिहार और जलपाईगुड़ी लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. 16 मार्च को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कूच बिहार में चार अप्रैल को राज्य में मोदी की पहली रैली होगी. चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में चार रैलियों को संबोधित कर चुके हैं.
पीएम मोदी ने संभाला मोर्चा
पहले चरण में 19 अप्रैल को कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाइगुड़ी में मतदान होगा, जबकि बालुरघाट में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. केंद्रीय मंत्री निशीथ प्रमाणिक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को क्रमशः कूच बिहार और बालुरघाट लोकसभा सीटों के लिए फिर से नामांकित किया गया है. भाजपा सांसद जयंत रॉय को जलपाईगुड़ी से फिर से उम्मीदवार बनाया गया है.
अलिपुरदुआर से जहां भाजपा ने सिटिंग एमपी जॉन बार्ला का टिकट काट कर मदारीहाट के विधायक मनोज टिग्गा पर भरोसा जताया है तो वहीं टीएमसी ने राज्यसभा सांसद प्रकाश चिक बराईक को उनके सामने मैदान में उतार दिया है. प्रकाश चिक बराईक इलाके के मज़बूत ट्राइबल नेता माने जाते हैं.
8 में से 7 पर खिला कमल
फिलहाल उत्तर बंगाल की आठ सीटों में से सात भाजपा के कब्जे में हैं जबकि एक यानी मालदा दक्षिण कांग्रेस के पास है. बीते लोकसभा चुनाव में इस इलाके में टीएमसी का खाता नहीं खुला था. भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस बारे में कहा कि उत्तर बंगाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ है. यहां लोग उनका सम्मान करते हैं, उनसे प्यार करते हैं और उन्हें अपना मानते हैं. उत्तर बंगाल के लोग 2014 से प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में हैं और यही कारण है कि 2019 में उनका वोट प्रतिशत बढ़ गया था. साथ ही इस बार रिकॉर्ड मार्जिन से भाजपा को उत्तर बंगाल की आठों सीटों पर जीत दिलाएंगे.
मजबूत हुई टीएमसी
गौरतलब है कि भाजपा का दावा है कि वह 2019 के प्रदर्शन में सुधार करेगी और सभी आठ सीटें जीतेगी लेकिन पिछले लोकसभा के बाद से तृणमूल ने कुछ लोकसभा सीटों, जैसे जलपाईगुड़ी, रायगंज और यहां तक कि दार्जिलिंग में पहले के मुकाबले मज़बूत हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर बंगाल के छह जिलों कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर की 42 में से 25 सीटों पर टीएमसी की जीत हुई थी, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव का औसत देखें तो भाजपा इन्हीं 42 विधानसभा सीटों में से 31 पर आगे थी. यानी 2019 के लोकसभा के बाद 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा कमजोर हुई. टीएमसी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया.
बैकफुट पर भाजपा
कई ऐसे मुद्दे हैं जिसके चलते भाजपा उत्तर बंगाल के कुछ हिस्सों में बैकफुट पर है. पहाड़ियों के लिए ‘स्थायी राजनीतिक समाधान’ और 11 पहाड़ी समुदायों के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा जैसी क्षेत्रीय मांगें अभी पूरी नहीं हो सकी हैं. जबकि भाजपा सैद्धांतिक तौर पर इन मुद्दों का समर्थन करती रही है, लेकिन उत्तर बंगाल के लोगों की ये मांगें पूरी नहीं हो सकी हैं. गत वर्ष बंगाल से राज्यसभा भेजे गए उत्तर बंगाल से राजवंशी समुदाय के नेता अनंत महाराज ने भी कूचबिहार से निशीथ प्रमाणिक के नाम की घोषणा पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जतायी है और कहा है कि पार्टी उन्हें किसी निर्णय में शामिल नहीं करती है.
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